कुछ
.... कुछ....
चल आज कुछ सुनाती हूं
लफ्जों मे अपने बया करती हूं
ज़िंदगी का यह बहुत प्यारा अहसास है
दूर होकर भी सब के दिल के पास है
मानो खुशियों का मेला है,
यह जीवन भी कहां अकेला है
सब ने गले से...
चल आज कुछ सुनाती हूं
लफ्जों मे अपने बया करती हूं
ज़िंदगी का यह बहुत प्यारा अहसास है
दूर होकर भी सब के दिल के पास है
मानो खुशियों का मेला है,
यह जीवन भी कहां अकेला है
सब ने गले से...