भूख (अतुकांत कविता )
अक्सर ..
देखा गया है
कि पेट की भूख ,
रोटी के कुछ निवालों पर,
आकर सिमट जाना चाहती है....
मगर ,
सत्तासीन
व्यक्तियों की भूख का
आजतक कोई निश्चित मापदंड,
नहीं देखा गया है ...........
वो,
खा सकती है
अपने देश-प्रदेश को,
जनता का...
देखा गया है
कि पेट की भूख ,
रोटी के कुछ निवालों पर,
आकर सिमट जाना चाहती है....
मगर ,
सत्तासीन
व्यक्तियों की भूख का
आजतक कोई निश्चित मापदंड,
नहीं देखा गया है ...........
वो,
खा सकती है
अपने देश-प्रदेश को,
जनता का...