स्त्री शक्ति
स्वतंत्रता और स्त्रीशक्ति..
स्त्री का अस्तित्व किसी एक सीमित बंधन में नहीं समाया जा सकता। वह पेड़ की तरह विशाल है-उसकी जड़ें मजबूती से ज़मीन में जमी हैं, और उसकी शाखाएं खुले आसमान की ओर फैलती हैं। पौधे की तरह उसे सिर्फ एक गमले में कैद नहीं किया जा सकता उसकी आत्मा विशाल है उसके सपने असीमित ।
जब एक स्त्री को समाज के बंधनों रीति-रिवाजों और अपेक्षाओं में बांधा जाता है उसकी शक्तियों का ह्रास होने लगता है। परंतु जैसे ही उसे अपनी उड़ान भरने का...
स्त्री का अस्तित्व किसी एक सीमित बंधन में नहीं समाया जा सकता। वह पेड़ की तरह विशाल है-उसकी जड़ें मजबूती से ज़मीन में जमी हैं, और उसकी शाखाएं खुले आसमान की ओर फैलती हैं। पौधे की तरह उसे सिर्फ एक गमले में कैद नहीं किया जा सकता उसकी आत्मा विशाल है उसके सपने असीमित ।
जब एक स्त्री को समाज के बंधनों रीति-रिवाजों और अपेक्षाओं में बांधा जाता है उसकी शक्तियों का ह्रास होने लगता है। परंतु जैसे ही उसे अपनी उड़ान भरने का...