...

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दिल का हाल
'दिल का हाल'

मैं ख़ुद उलझा-सा हूँ, दूसरों को कैसे सुलझा सकूँगा
तुम यकीं मानो या न मानो, मैं यकीं नहीं दिला सकूँगा।

मैं अब ख़ुद में ख़ुद ही को मार रहा हूँ,
दूसरों को मैं अब कहाँ मार सकूँगा?

अफ़वाह है ये की मुझे इश्क़ से निज़ात मिल गयी है,
आज़ार पुराना है, मैं अब इसे साथ लेकर...