मेरी जान और चाय....
मेरी जान और चाय....
मेरी पहली चाहत है वाे
मेरी ज़िन्दगी की आहट है वाे
मैं उसकी खुशबू से पहचान लेता हूँ
आैर फिर जान के हाथ से चाय लेता हूँ
चाय काे लब तक ले जाते हुए
जान की जानिब से सवाल हाेता है
आप के लब काे जान अज़ीज़ है या चाय??
जान ये जान लाे अगर जान न हाेती ताे इन हाथ में चाय भी न हाेती
जान इतना सुनते ही हल्की सी मुस्कान देते हुए फिर किचन में चली जाती है
मेरी पहली चाहत है वाे
मेरी ज़िन्दगी की आहट है वाे
मैं उसकी खुशबू से पहचान लेता हूँ
आैर फिर जान के हाथ से चाय लेता हूँ
चाय काे लब तक ले जाते हुए
जान की जानिब से सवाल हाेता है
आप के लब काे जान अज़ीज़ है या चाय??
जान ये जान लाे अगर जान न हाेती ताे इन हाथ में चाय भी न हाेती
जान इतना सुनते ही हल्की सी मुस्कान देते हुए फिर किचन में चली जाती है