...

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shehar
किस गली और किस शहर की अब हम बातें करें,
अब तो हर शहर और हर कसबे में है ठिकाना तेरा,
ज़रा सी खामोशियाँ और अकेलेपन की ही तो तलाश थी,
हर मुसाफिर से जब मिला तो सबकी ज़ुबाँ पे था सिर्फ फ़साना तेरा,
ज़रा भी अंदाज़ा ना हुआ के किस्से मोहोब्बत के अपने इतने मशहूर हो जायेंगे,
हम खुद को ढूंढने निकलेंगे और हर जगह तुम्हे ही पाएंगे,
अब इस दर्द में ता-उम्र जीना है , मर्ज़ इस इलाज का किसी के पास नहीं,
हकीमों से भी क्या शिकायतें करूँ ये तो ज़ख्म है काफी पुराना मेरा!!!
© pal❤️