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एक सफ़र
अभी अभी तो पाया है
सही रास्ता
अभी अभी तो मिली है
सही डगर
अब कुछ और नहीं
है सुझता
बस में और मेरा
सफर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
दिशाएं स्वयं है
बुलाती
हवाएं पथ है
दर्शाती
वक्त भी मुझसे पुछकर
अब करता है 'सहर'
कैसी अब बेला, कैसा
अब प्रहर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
अनगिनत बिजलियां
गिरे
तुफान शोर मचाता
फिरे
लाखों चाहे उठ्ठे
भंवर
हो न अब मुझ पर
असर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
जब पथप्रदर्शक मौजूद
हर पल
फिर किस बात की
है चिंता
फिर किस बात का है
भय
जब है कृपादृष्टि उनकी
फिर कैसी प्रतीक्षा
अब तो मुझको हरपल
नजर आती है डगर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
न वक्त न बाधाएं
न निराशा न आशाएं
अब मुझको न रोक
पाये
न साथी न कांरवा
चाहिए
बस अब मंजिल पर
ठहरी नज़र
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
स्वरचित © ओम 'साई' ०३.०८.२०२१
#Poetry #Hindi #philosophy #inspiration #writco #Life #Life&Life
© aum 'sai'
सही रास्ता
अभी अभी तो मिली है
सही डगर
अब कुछ और नहीं
है सुझता
बस में और मेरा
सफर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
दिशाएं स्वयं है
बुलाती
हवाएं पथ है
दर्शाती
वक्त भी मुझसे पुछकर
अब करता है 'सहर'
कैसी अब बेला, कैसा
अब प्रहर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
अनगिनत बिजलियां
गिरे
तुफान शोर मचाता
फिरे
लाखों चाहे उठ्ठे
भंवर
हो न अब मुझ पर
असर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
जब पथप्रदर्शक मौजूद
हर पल
फिर किस बात की
है चिंता
फिर किस बात का है
भय
जब है कृपादृष्टि उनकी
फिर कैसी प्रतीक्षा
अब तो मुझको हरपल
नजर आती है डगर
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
न वक्त न बाधाएं
न निराशा न आशाएं
अब मुझको न रोक
पाये
न साथी न कांरवा
चाहिए
बस अब मंजिल पर
ठहरी नज़र
अनभिज्ञ हूं हर बात
हर बात से हूं
बेखबर
बस मैं और ...
स्वरचित © ओम 'साई' ०३.०८.२०२१
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