...

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karvan
मैं
हूं

तेरा साया
हु तेरा
तु है कही मुझ मे बसा न जाने क्यों हम लोग बेबस हो गए एक दुजे को पाने की तलाश में खो गए जब से तुम मिले थे न जाने कितनी आस
लिए
कुछ दूर पर बेगाने या अपने खडे थे हम बेबस से खडे रह गए
तुम्हे पाने की तलाश में क्या क्या
सह गए

न गजिलों का पता है न ही रास्तो का किस
डगर पर हम चल दिए वह राह भी न जाने कितनी दिनों से मुसाफ़िर की याद में पल पल बिलखती है और जिस पतिक का हम तलाशते रह गए वह पतिक अपने कारावा की तलशताा चले गए पर मंजिल पर पहुंच कर उसने न जाने
कितने रास्ते रच दिए












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