...

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मोह
हक न था मेरा
में किसी के लिए जिद्द कर जाऊं

फर्ज था मेरा
में उसकी खुशियों में ही अपनी खुशियां सजाऊं

क्योंकि मोहब्बत स्वार्थ की मोहताज नहीं होती।

© shivani jain