Samandar si..
समन्दर सी बेरुख ज़िन्दगी और
गोया तुम्हारी नीली मोहब्बत उस में
आसमाँ को छूती हैं जब उफान बन
मिलती राहत चाँद की परछाई में
बसर हैं उस नाव में मेरी एक आरजू
जो बह कर तह तक उतर आई हैं
कई खत भी रखे थे मैंने तुम्हारे नाम
अब वो सूखी सतह पर तारी हैं ...
गोया तुम्हारी नीली मोहब्बत उस में
आसमाँ को छूती हैं जब उफान बन
मिलती राहत चाँद की परछाई में
बसर हैं उस नाव में मेरी एक आरजू
जो बह कर तह तक उतर आई हैं
कई खत भी रखे थे मैंने तुम्हारे नाम
अब वो सूखी सतह पर तारी हैं ...