...

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.....हिंदी.....
क्या कहूँ मैं उस भाषा को जिसके हम स्वयं आधार हैं,
हम हिंदी से हैं हिंदी हमसे नहीं
हिंदी तो हमारी भावनाओं का प्रकार है।
कितनी सरल और सुलभ है ये भाषा
ये तो है हिंदुस्तान की आशा ।
यूँ तो कहने को मात्र भाषा ही हिंदी हमारी
पर शब्दो की गहराइयाँ भी तो देखिए
पूरे भारत की शान है हिंदी हमारी ।
जैसे पानी बिन प्राडी है प्यासा
सच कहूँ तो जब दिल को छूकर गुजरती है ये भाषा ,
कह उठती है ये जान हमारी कर रही है एक प्यारी सी भाषा इस पूरे हिंदुस्तान की रखवाली।
गर्व है ऐसी भाषा पर,हमको हिंदुस्तान की आशा पर,
ये धड़कन है उन तमाम लेखकों और कवियों की शहीद हुए उन लोगों और महान व्यक्तित्व के छवियों की।
ये उन सबकी याद दिलाती है,
जब कवियों द्वारा हिंदी एक पन्ने पर उतरी जाती है।
उन शब्दों का भी मैं क्या अर्थ बताऊं ,
जिनकी भाषा में ही मातृत्व झलकाती है।
शत शत बार नमन है इस भाषा को ,
जिसने हमारे अंतर्मन में ज्योति जगाई ,
भाषा ही नही बल्कि ज्ञान की भी सही दिशा दिखाई।

__anshu