अपना अंदाज....❤️❤️✍️✍️(गजल)
एक अंदाज साहब विचित्र है अपना
ना महबूबा है ना कोई मित्र है अपना
हम लगते हैं खुली किताब पर हैं नहीं
वर्णन जहां में बेशक सचित्र है अपना
क्या हुआ हम नहीं हैं किसी कली के
सारी कायनात का तो इत्र है अपना
किसी को खराब किसी को अच्छा
लोगों के नज़रिए सा चरित्र है अपना
रंग रूप से चाहे कैसे भी हों 'सत्या'
मगर दिल सौ टका पवित्र है अपना
लोग नहीं करेंगे इसमें हिस्से दारी
कर्तव्य ही तो सच्चा सुमित्र है अपना
© Shaayar Satya
ना महबूबा है ना कोई मित्र है अपना
हम लगते हैं खुली किताब पर हैं नहीं
वर्णन जहां में बेशक सचित्र है अपना
क्या हुआ हम नहीं हैं किसी कली के
सारी कायनात का तो इत्र है अपना
किसी को खराब किसी को अच्छा
लोगों के नज़रिए सा चरित्र है अपना
रंग रूप से चाहे कैसे भी हों 'सत्या'
मगर दिल सौ टका पवित्र है अपना
लोग नहीं करेंगे इसमें हिस्से दारी
कर्तव्य ही तो सच्चा सुमित्र है अपना
© Shaayar Satya