...

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बचपन... #feelingnostalgic #anshanki

आ लौट चलें उस बचपन में,
जहाँ मासूम सपने संजोए थे,
गुड्डे गुडिये के खेल को,
हकीक़त कि हथेलियों से थपथपाए थे...

नाजुक से पल थे,
मासूम सी बातें,
तरसते है जिन्हें जीने को,
ऐसी थी वो रातें...

हर आहट पे डर जाते थे,
जो दिल करता था कर जाते थे,
ना दूनिया कि फ़िक्र थी,
ना परवाह उनकी बातों की...

तारे बन जाते दोस्त कभी,
कभी चंदा मामा भी,
ख्वाहिशें जिनसे जुड़ती रही,
हक़ उनपे बन गया वहीं...

बारिश की बूंदों में मचलते,
सावन के झूलों पे फिसलते,
फूलों कि खुशबू से महकते,
ख़ुदा कि कुदरत से चहकते...

हर बात पे एक सवाल उठता था,
जवाब भी लेना जरुरी बनता था,
"चूहे भी प्यारे हैं, रहते साथ हमारे है,
अपना घर उनका है, तो क्या उनका घर भी...