...

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भरा समंदर सा
भावनाओं से भरा समंदर मेरे अंदर
कुछ कह पता बाकी सब रह जाता
मेरे अंदर
तू दूर रहती चटानो के पीछे
मैं रोज उन चटानों से टकराता
जब भी तुझे मिलने आता
टूट बिखर सा जाता रह जाता
इस पार , कुछ न कह पता

भावनाओं से भरा समंदर मेरे अंदर
कुछ कह पता बाकी सब रह जाता
मेरे अंदर
लहरों सा तेज तेरी तरफ आता
फिर याद आता तू रहती उस पार
फिर शांत हो कर लौट जाता