...

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फुर्सत
कभी फुर्सत मिले
तो क्या तुम मुझे ढूंढने आओगे
मेहेज़ मुझे मालूम है
तुम नहीं आओगे
कभी नहीं आओगे
किसी दिन किसी पल नहीं आओगे
पर क्या तुम्हें पता है
तुम जीत गय
तब के कल में, आज के आनेवाने कल में
रोज़ मेरे हर पल में
हां क्योंकि तुम तो प्यार को हराने ही आए थे
और मैं बस प्यार के लिए आई थी
तुम्हारे लिए ही आई थी
तुम मेरे लिए सही हो
रोज़ यही खुद से कहने आई थी
पर तुम्हें मुझसे प्यार हुआ था क्या
तुम जवाब में हां कहोगे जानती हूं
पर होता तो तुम कभी मेरे प्यार को साबित करने नहीं कहते
मेहेज़ बस एक बार या हज़ार बार बस
गले लग कर मुझसे प्यार जता देते
पर तुम तो मुझमें किसी और को ढूंढते थे...