...

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नहीं ये नहीं ये, ये बारिश नहीं है
मन भी है भीगा, ये दिल भी है भीगा
न पूछो ये हमसे, ये बदन भी है भीगा
नहीं रोज होता है ,ये मुद्दत हुई है
नहीं ये,नहीं ये,ये बारिश नहीं है
मेंरे आशुओ की, ये बहती कड़ी है

मन भी है प्यासा, ये दिल भी है प्यासा
न समझोगे तुम, ये बदन भी है प्यासा
न दिल टूटता ये, हाँ तोड़ा गया है
छोड़ा गया है, छोड़ा गया है
बारिश में प्यासा छोड़ा गया है
समझें न कोई ये कैसी लड़ी है
मेरे तनहा दिल की, ये प्यासी घड़ी है


ऑशू है बहते , येदिल भी है रोता
दिन रात मेरा, सुकू चैन खोता
नहीं ऐसा पहले, कभी ये हुआ है
चाहा जिसे, दे रहा बददुआ है
मालिक ये कैसी रज़ा है, ये कैसी रज़ा है
मेरे अपने ही देख़ो, हमसे ख़फा है

शिवेन्द्र सिंह सोनू

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