अच्छा है!
अपनी तक़दीर में हैं जब जुदाई लिखी
फ़िर यूं सहरा में मिलना कहाँ अच्छा है
तेरे ख़ातिर लुटी अब जो शोहरत मेरी...
फ़िर यूं सहरा में मिलना कहाँ अच्छा है
तेरे ख़ातिर लुटी अब जो शोहरत मेरी...