...

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"वजूद"

रौनकों से मायूस मेरे ख़त,
तवज्जो ज़ार दिखते हैं।

बहुत वक्त के बाद मुसाफिर,
मेरे राज़दार दिखते हैं।

मोहलत ना मिली ख़ुदाया तेरे ताबीजों कों,
मन्नतों में लिपटे वो बेकरार दिखते हैं।

उसूल-ए-दुनिया...