धीरे धीरे से टूटा हूं.......
धीरे-धीरे दिल टूट रहा है
कुछ ख्वाहिशें रुक गई
कुछ अपने भूल गए
कुछ यादगार लम्हे याद आ रहे है
कुछ बाते रुक सी गई है।
बहुत अधूरा-सा-सा लग रहा है।
मै खुद कमजोर पा रही हूं
ख़ामोश अकेलेपन से जूझ रही हूं।
क्या करू कोई है अपना तो कहा है।
कुछ खो गया है मेरा कोई तो सहारा बनो
ये दुनिया में धन-दौलत किसी को का ना होने देती हैं।
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कुछ ख्वाहिशें रुक गई
कुछ अपने भूल गए
कुछ यादगार लम्हे याद आ रहे है
कुछ बाते रुक सी गई है।
बहुत अधूरा-सा-सा लग रहा है।
मै खुद कमजोर पा रही हूं
ख़ामोश अकेलेपन से जूझ रही हूं।
क्या करू कोई है अपना तो कहा है।
कुछ खो गया है मेरा कोई तो सहारा बनो
ये दुनिया में धन-दौलत किसी को का ना होने देती हैं।
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