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// इंटरनेट से पहले//
// इंटरनेट से पहले//

इंटरनेट से पहले जिंदगी गुलजार हुआ करती थी,
पूछते थे मिल कर गले खैरियत एक दूसरे की,
छोटे की थी इबादत, घरों में संस्कार और
बड़ों की बंदगी थी,
जब नहीं था इंटरनेट अपनों के संग खुशहाल जिंदगी थी,

करते थे जब सिर झुका प्रणाम बड़ों को,
आशीर्वाद की लगती झड़ी थी,
कभी डांट तो कभी दुलार मिलती हर घडी थी,

रात को आंगन में बैठ कर
जब चाँद सितारों संग आकाश मार्ग की करते थे भ्रमण,
बड़ों से सुनते थे तब कहानियाँ
पूरे देश देशांतर की तब करते थे बातें हम,

सबके साथ बैठ कर खाते पीते थे
धूम खुब मचाते थे,
गाने विविध भारती की सुनते थे तब,
बड़े हर्षो उल्लास में फिर सारा दिन गुजरते थे,

तीज त्योहार एक दूसरे के साथ मिल कर सब मनाते थे,
मिलने जुलने सबके घर हम भी जाते थे,
बागों में डाल कर झूले आसमां की सैर हम कर आते थे,
सगे सम्बन्धियों के संग नुक्कड़ पर
मनोरंजन के लिए नाटक भी देखा करते थे,
थे संयुक्त परिवार बड़े आराम से दिन और रात
गुजरते थे,
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