...

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पिताजी
हर घर इक दीप सा जगमग
#पिता उस दीप की बाती।
माँ हर मंदिर की है प्रतिमा
पिता है ध्वजा लहराती॥
पिता परमात्मा है, आत्मा है
प्रेम मंदिर की।
पिता संस्कार है, सामर्थ्य है
आकाश की भाँति॥
© drajaysharma_yayaver