हाल-ए-दिल
ना जाने कितनों को है आपके इश्क का बुखार,
नज़रों से अपनी करते हो जिनका आप शिकार,
फिर भी दिल अपना लिए खड़े है आपके द्वार,
उम्मीद यही की आपको भी हो जाए हमसे प्यार,
मांग लेंगे उस रब से जिंदगी के कुछ और दिन उधार,
जो कुबूल हो...
नज़रों से अपनी करते हो जिनका आप शिकार,
फिर भी दिल अपना लिए खड़े है आपके द्वार,
उम्मीद यही की आपको भी हो जाए हमसे प्यार,
मांग लेंगे उस रब से जिंदगी के कुछ और दिन उधार,
जो कुबूल हो...