...

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बोसा.. (चुंबन)
हाय वो पहली मुलाकात का पहला बोसा
बोसे के बदले जो देना था फ़िर बदला बोसा..

ऐसी लज्जत थी कि आबे हयात फीकी हो
गोया ख़ुद आया हो देने मुझे अल्ला बोसा..

इसी वादे पे हर इक बार थे छोडें उनको
बोलो कब फ़िर से मिलेगा मुझे अगला बोसा..

हर तरफ शोर था चरचा था ज़माने भर में
हर जुबां पे शहर में था वही हल्ला बोसा..



© Rajnish Ranjan

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