...

13 views

बाल कविता

© Nand Gopal Agnihotri


#ता२०/९/२०२४
#बालकविता
_________________________
एक छोटी सी गैय्या गर होती अपने घर मैय्या।
मुरली एक मंगा देती जैसी कृष्ण कन्हैया।
मैं भी वन में घूम-घूम कर खूब चराता गैय्या।
तब न मुझको पढ़ना पड़ता न ही रटमरट्टैया।
घूम-घूम कर चरवाहों संग खेलते गिल्ली-डंडा।
तब न खाना पड़ता मुझको मास्टर जी का डंडा।
वजन से ज्यादा बस्ता भारी कंधे पे लाद के जाता हूॅं।
होमवर्क का बोझ लिए पढ़कर वापस आता हूं।
यहां पिता जी डांट...