अधीर मन
तुम्हे पाने क़ी आस में
व्याकुल मन कब से हैं प्रिये
प्रेमी के प्रेम निवेदन को
ना यू ठुकराओ तुम प्रिये
झटक लोगी मुझसे अपना
जो दामन
तो बहोत पछताओगी तुम प्रिये
माना अँधेरी रात में
प्रभात क़ी किरण सी तुम प्रिये
सारी रात तेरी याद में मैं
खोया खोया आधा सा चाँद प्रिये
बिखेर दो मुझ पर तुम अपनी रौशनी
जी रहा हूँ इसी एक आस में प्रिये
स्मृति.
व्याकुल मन कब से हैं प्रिये
प्रेमी के प्रेम निवेदन को
ना यू ठुकराओ तुम प्रिये
झटक लोगी मुझसे अपना
जो दामन
तो बहोत पछताओगी तुम प्रिये
माना अँधेरी रात में
प्रभात क़ी किरण सी तुम प्रिये
सारी रात तेरी याद में मैं
खोया खोया आधा सा चाँद प्रिये
बिखेर दो मुझ पर तुम अपनी रौशनी
जी रहा हूँ इसी एक आस में प्रिये
स्मृति.
Related Stories