"शर्मिंदगी का आईना"
कुछ हासिल कर लिया है मैंने,
कुछ हासिल करना अभी बाकी है।
जो पाया है,
वो आपको मालूम है।
जो नहीं पाया,
वो भी एक दिन पता चल जाएगा।
लेकिन इतना कुछ हासिल करने के बाद भी
जीवन में कुछ चीजों के लिए
शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
जैसे हर रोज हर तरफ रेप हो रहे हैं,
और मैं घर में बैठकर
सिर्फ रोटियां तोड़ रहा हूं।
या फिर पीड़िता के लिए
कविता लिखकर,
पोस्ट करके,
या ऑनलाइन प्रोटेस्ट करके
सिर्फ सहानुभूति जता रहा हूं।
मैं पिज्जा खाते हुए
टीवी पर गरीबों को
पैसों की कमी में मरते देखता हूं,
और अगले दिन
बेशर्मी सेे कहीं गरीबी पर लेक्चर दे रहा हूं।
मेरी आंखों के सामने
एक चोर को भीड़ द्वारा पीटा जा रहा है।
मैं उसे रोकना...
कुछ हासिल करना अभी बाकी है।
जो पाया है,
वो आपको मालूम है।
जो नहीं पाया,
वो भी एक दिन पता चल जाएगा।
लेकिन इतना कुछ हासिल करने के बाद भी
जीवन में कुछ चीजों के लिए
शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
जैसे हर रोज हर तरफ रेप हो रहे हैं,
और मैं घर में बैठकर
सिर्फ रोटियां तोड़ रहा हूं।
या फिर पीड़िता के लिए
कविता लिखकर,
पोस्ट करके,
या ऑनलाइन प्रोटेस्ट करके
सिर्फ सहानुभूति जता रहा हूं।
मैं पिज्जा खाते हुए
टीवी पर गरीबों को
पैसों की कमी में मरते देखता हूं,
और अगले दिन
बेशर्मी सेे कहीं गरीबी पर लेक्चर दे रहा हूं।
मेरी आंखों के सामने
एक चोर को भीड़ द्वारा पीटा जा रहा है।
मैं उसे रोकना...