...

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Zab Kal Mai Na Hungi...
जब कल मै ना हूंगी
मेरी रात या सुबह
आखरी होगी
और एक मुस्कुराती
तस्वीर मेरी
कहीं दीवार पर टंगी होगी..
तब मेरी याद को
बोझिल न बना लेना
मेरा नाम लेना और
थोड़ा मुस्कुरा देना
ना दिखूं तो मूंद लेना
आंखें अपनी
अपने भीतर मेरा पहले
सा साथ पा लेना..
© - प्रज्ञा