जिन्दगी कितनी छोटी
जिन्दगी कितनी छोटी
बातें इसकी उतनी ही बड़ी बड़ी
अभी कल की तो बात थी
जिन्दगी से हुई मुलाकात थी
फिर आज कहाँ गायब हो गई
अरे पागल मन
किस सोच में डूब गए तुम
ये कहीं छोड़ के गई नहीं
ये तो बोरिया बिस्तर बांधे
आने वाले साल में चली
अब चली तो चली
अब कर ही क्या सकते हैं
ये तो रोके कहाँ रुकी
अपनी ही धुन में
गीत कोई गुनगुनाता चली
हर बात के लिए
ईश्वर का धन्यवाद करते
ये तो चली
इसके इंतज़ार में
सभी बैठे सोच रहे
जाने नए साल में क्या क्या
हमारे लिए लाएगी
इसी आस में बैठे
आने वाले साल में
खुशियों की सौगात
यही तो लाने वाली है
यही सोच लिए बैठे
ये तो नए पुराने अनुभवों की
तालिका के डिब्बे जोड़े चली
खुशियों की पोटली बांधे
2025 में क्या क्या
अच्छा होने...
बातें इसकी उतनी ही बड़ी बड़ी
अभी कल की तो बात थी
जिन्दगी से हुई मुलाकात थी
फिर आज कहाँ गायब हो गई
अरे पागल मन
किस सोच में डूब गए तुम
ये कहीं छोड़ के गई नहीं
ये तो बोरिया बिस्तर बांधे
आने वाले साल में चली
अब चली तो चली
अब कर ही क्या सकते हैं
ये तो रोके कहाँ रुकी
अपनी ही धुन में
गीत कोई गुनगुनाता चली
हर बात के लिए
ईश्वर का धन्यवाद करते
ये तो चली
इसके इंतज़ार में
सभी बैठे सोच रहे
जाने नए साल में क्या क्या
हमारे लिए लाएगी
इसी आस में बैठे
आने वाले साल में
खुशियों की सौगात
यही तो लाने वाली है
यही सोच लिए बैठे
ये तो नए पुराने अनुभवों की
तालिका के डिब्बे जोड़े चली
खुशियों की पोटली बांधे
2025 में क्या क्या
अच्छा होने...