जिन्दगी आ! तुझे संवारें ।
सपनों के आईने में
चलो यूं खुद को निखारे
सफ़र मेरे , आश्ना तुम
जिन्दगी आ! तुझे संवारें ।
चलो आज चांद से
दिल के करें इबादत
टिमटिमाते तारों से
दुआवोँ की फरमाइश ।
लगा दूं तुम्हारे माथे पे
चांद का टीका
आंखों समंदर में
सपनों को निहारे ।
हाथ के लकीरों में
तू हो जाए मुक्कमल
एक साथ हो जाए हम-तुम
एक रास्ता गुजारें ।
बन गए हो जो तुम
मेरी उम्र वाली कविता
स्याह वाली काजल से
शब्द को संवारे ।
© Ritesh Tiwari
#riteshtiwari #love #poetry #lovepoetry
चलो यूं खुद को निखारे
सफ़र मेरे , आश्ना तुम
जिन्दगी आ! तुझे संवारें ।
चलो आज चांद से
दिल के करें इबादत
टिमटिमाते तारों से
दुआवोँ की फरमाइश ।
लगा दूं तुम्हारे माथे पे
चांद का टीका
आंखों समंदर में
सपनों को निहारे ।
हाथ के लकीरों में
तू हो जाए मुक्कमल
एक साथ हो जाए हम-तुम
एक रास्ता गुजारें ।
बन गए हो जो तुम
मेरी उम्र वाली कविता
स्याह वाली काजल से
शब्द को संवारे ।
© Ritesh Tiwari
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