...

11 views

जिन्दगी आ! तुझे संवारें ।
सपनों के आईने में
चलो यूं खुद को निखारे
सफ़र मेरे , आश्ना तुम
जिन्दगी आ! तुझे संवारें ।

चलो आज चांद से
दिल के करें इबादत
टिमटिमाते तारों से
दुआवोँ की फरमाइश ।

लगा दूं तुम्हारे माथे पे
चांद का टीका
आंखों समंदर में
सपनों को निहारे ।

हाथ के लकीरों में
तू हो जाए मुक्कमल
एक साथ हो जाए हम-तुम
एक रास्ता गुजारें ।

बन गए हो जो तुम
मेरी उम्र वाली कविता
स्याह वाली काजल से
शब्द को संवारे ।

© Ritesh Tiwari

#riteshtiwari #love #poetry #lovepoetry