...

119 views

वीर भगत सिंह....

मैं इतिहास का हूं एक पन्ना,
काम है मेरा तुम्हें इतिहास बताना,
आज सुनो तुम सब मेरी जुबानी,
भारतीय वीर की एक प्रसिद्ध कहानी।।

२८ सितंबर का वह दिन था सुहाना,
इस दिन एक भारतीय वीर था जन्मा,
भगत सिंह नाम से उसने प्रसिद्धि पाई,
बूढ़े भारत में भी नई जवानी आई ।।

वतन के लिए उसने कुछ करना चाहा,
आजादी के लिए लड़ना चाहा,
अंग्रेज़ो के विरुद्ध आवाज उठाई,
भारतीयों में नई उम्मीद थी जगाई।।

इंकलाब का नारा था लगाया,
हिन्दुस्तान का गुणगान था गाया,
अंग्रेज़ो के खिलाफ खड़ा था,
आखरी दम तक वह लड़ा था।।

राजगुरु और सुखदेव के संग,
आजादी से थी भरी उमंग,
अंग्रेज़ो को उसने सबक सिखाया,
एक नया इतिहास था रचाया।।

देशद्रोहियों को उसने मार भगाया,
उन्हें भी था एक पाठ पढ़ाया।
चारों ओर हुई उसकी जय - जयकर,
वतन से था उसे बेइंतेहा प्यार।।

अंग्रेज़ो ने एक षड़ियंत्र रचाया,
भगत सिंह को था बंदी बनाया।
राजगुरु और सुखदेव भी थे संग,
तीनों ही थे जेल में बंद

भारतीयों ने फिर आवाज़ उठाई,
अंग्रजों के विरुद्ध की लड़ाई,
सभी अंग्रेज बौखला उठे,
फांसी की सजा तीनों को सुना बैठे।।

२३ मार्च की जब सुबह थी हुई,
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई,
जब प्रजा को यह पता चलता,
अंग्रेज़ो का उन्होंने विरोध किया।।

उनकी अस्थियां को इकठ्ठा किया गया,
फिर जुलूस निकाला गया,
उस दिन भारत मां ने वीर पुत्र थे खोए,
और सभी लोग बहुत थे रोए।।

भले उसने शरीर को त्याग दिया,
पर फिर भी सबके दिलों पर राज किया,
वे तीनों ही थे वीर महान,
जिन्होंने थी बढ़ाई भारत की शान।।

आज भी उन्हें हम याद करते हैं,
उनपे अब भी गर्व करते हैं,
भगत सिंह की वह कुर्बानी,
याद रखेगी मेरी जुबानी।।


सलाम करते हैं उन वीरों को,
जो वतन के लिए जान भी दे देते हैं,
भगत सिंह की भांति ही,
उन्हें भी याद हम करते हैं।।

- सिद्धांत मेहरा













© sidhant