...

15 views

ख्वाबों का नीड
हजरातों की गोँ में,
ख्वाबओं का नीड बनाते रहे |
और हार नीद टूटने के बाद बेघर ही रहे ,
ना सीतम है ज़माने का ना ख्वाबों का डर है
पार शायद कुछ खो गया सा है |
कास उमीदों का कारवां ना होता तो सायद यह सफर आसन होता |

© SAM