दोस्ती..
हर दिन होता सवेरा है
हर दिन नया बसेरा है
चार दिन की चांदनी है
हर रोज़ नयी पहेली है
यारों से बनती नवेली है
क्योंकि दोस्तों से ही लगती
गुलज़ार ये जिंदगी अपनी है...
हर दिन नया बसेरा है
चार दिन की चांदनी है
हर रोज़ नयी पहेली है
यारों से बनती नवेली है
क्योंकि दोस्तों से ही लगती
गुलज़ार ये जिंदगी अपनी है...
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