सात जन्म...
जब तुम्हारी चूड़ियां खनकती हैं
ऐसे लगता है जैसे
मेरी सारी खामोशियों को
एक गूंज सी मिल रही हो
जब तुम्हारी आंखों में काजल सजता है
ऐसे लगता है जैसे
मेरे सारे प्रेम पत्रों को मोहर सी सजा रही हो
जब तुम अपने केश खोल
एक गुलाब को कान के बाईं ओर,
बड़ी नजाकत से रख
एक लट खोल देती हो
ओर उसे सामने की ओर ला के छोड़ देती हो
ऐसे लगता है जैसे
अपने सारे कांटों को छिपा रही हो
फिर भी अपने बचपने को जिंदा रख रही हो
जब तुम इत्र
अपने हाथों की कलाई में लगाती हो
ऐसे लगता है जैसे
हमारे प्रेम को महका रही हो
जब वो एक छोटी सी बिंदी
तुम्हारे माथे में सजतीं है
ऐसे लगता है जैसे
शव से मुझे शिव बना रही हो
जब तुम्हारे पैर आलता से सजते हैं ...