समय खरीदेगा
समय ख़रीदेगा सब कुछ,
बिकता, जो न बिकता है।
देखने वालों देखते जाओ,
आगे क्या-क्या दिखता है।
बदल गए हैं, शोर, मौन में,
मौन भी कितना चीखता है,
मन के भीतर झाँकों तुम भी,
तन से ही क्या दिखता है।
कमी लगी है, हर पल में ही,
आजीवन कितना भरता है।
अपना लगता कम सदा ही,
औरों का ज्यादा लगता है।
खालीपन के साथ ही जिसको,
जीवन पूरा लगता है,
इस क्षण में भी काल खड़ा हो,
क्या वो उससे डरता है।
...
बिकता, जो न बिकता है।
देखने वालों देखते जाओ,
आगे क्या-क्या दिखता है।
बदल गए हैं, शोर, मौन में,
मौन भी कितना चीखता है,
मन के भीतर झाँकों तुम भी,
तन से ही क्या दिखता है।
कमी लगी है, हर पल में ही,
आजीवन कितना भरता है।
अपना लगता कम सदा ही,
औरों का ज्यादा लगता है।
खालीपन के साथ ही जिसको,
जीवन पूरा लगता है,
इस क्षण में भी काल खड़ा हो,
क्या वो उससे डरता है।
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