एहसास ए इश्क..
आज फिर किसी चाहत ने,
दिल का दरवाजा खटखटाया है,,
दफ़न थी जो बात जिगर में,
वो जुबां पर आया है।।
तमन्ना ए इश्क में हम कबसे खामोश थे,
जुस्तजू ए फिजा में जब से मदहोश थे।।
बेताब दिल किस कदर हुआ जा रहा है,
खयालों में डूबा किसके,
फिकर हर दुआ में करता जा रहा है।
देखी न कभी ऐसी...
दिल का दरवाजा खटखटाया है,,
दफ़न थी जो बात जिगर में,
वो जुबां पर आया है।।
तमन्ना ए इश्क में हम कबसे खामोश थे,
जुस्तजू ए फिजा में जब से मदहोश थे।।
बेताब दिल किस कदर हुआ जा रहा है,
खयालों में डूबा किसके,
फिकर हर दुआ में करता जा रहा है।
देखी न कभी ऐसी...