...

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ढूंढते रहे...❤️❤️✍️✍️( गजल)
हम भी जीने की वजह ढूंढते रहे
बाद में पता चला बेवजह ढूंढते रहे

लोगों ने बना लिए महल रहने के लिए
और हम दिलों में बस जगह ढूंढते रहे

वो इतना व्यस्त रहे कारोबारे जहां में
कि हमसे मिलने को समय ढूंढते रहे

वो बिछड़े हमसे तो हम घर में उनकी
इक तस्वीर पागलों की तरह ढूंढते रहे

हम पीते रहे उनकी आंखों से प्याले
और लोग महफिलों में मय ढूंढते रहे

मोती चाहने वाले थे तल की फिराक में
पर डूबने वाले लोग सतह ढूंढते रहे



© Shaayar Satya