...

4 views

हम फ़िर से मुस्कुराने लगे
ज़िंदगी से ज़्यादा कुछ नहीं चाहा था हमने
सिर्फ़ एक प्यार भरे जीवन के देखते थे हम सपना

ऐसा जीवन जिसमें सब अपने रहते हों साथ
समझे सब बिना स्वार्थ के इक दूजे के जज़्बात

एक शांति से भरपूर ज़िंदगी के सिवा कुछ ना चाहा हमने
वो ही ना मिला हमको, टूट गए सारे सपने

समझ ना सके हम कि हमारा था क्या कसूर
ऐसी दर्द भरी ज़िंदगी जीने के लिए हम क्यूँ हुए मजबूर...