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मैं रुद्र हूँ
मैं काल हूँ, मैं ही रुद्र हूँ

मैं ब्राह्मण हूँ, मैं ही शूद्र हूँ।
मैं ही देव हूँ, मैं दानव हूँ
कण कण में व्याप्त मैं ही मानव हूँ
हूँ प्रेम मैं, संताप हूँ
शीतल नीर, अग्नि का ताप हूँ

मैं रावण का अहंकार हूँ
मैं ही राम सा संहार हूँ
पांडवों की जय मैं ही
मैं ही कौरवों की हार हूँ
मैं रक्षक हूँ, मैं ही भक्षक हूँ
मैं हूँ शेषनाग, मैं ही तक्षक हूँ

मैं ही पाप हूँ, मैं ही पुण्य हूँ
मैं ही अनंत, मैं ही शून्य हूँ
मैं ही हूँ धरा, मैं आकाश हूँ
ब्रह्माण्ड का मैं ही रास हूँ
मैं ही कर्म हूँ, मैं ही धर्म हूँ
मैं ही जीवन का मर्म हूँ

मैं काल हूँ मैं ही रुद्र हूँ।।
© प्रसून