...

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Kuch Is Tarah....
कुछ इस तरह लफ्ज़ो में पिरोए हैं एहसास को
कोरा कागज भी खिल उठा
जब भी पढ़ते उनकी नज़्म
लिखी जो पन्नो पर
कितनी बार पढ़ते रहे
कितनी बार वो हर्फ़ बस गएआँखों में ..
शायद एक कारवाँ ख्वाबों का
चला हो जैसे...