...

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अब कुछ रहा ही नहीं।
कभी घंटो बातें होती थी।
आज हमारे बीच कुछ कहने को नहीं रहा।
जो मेरी हर बेतुकी बातों को सुना करते थे।
आज उनके पास हमारे लिए समय नहीं रहा।
जो मैं रूठ जाती थी बात बात पर उनसे।
आज मेरे पास रूठने की वजह नहीं हैं।
कभी वो मुझे निहारते हुए थकते नहीं थे।
आज वो मुझे देखना तक नहीं चाहते।
जिसको मेरी हर बात पर प्यार आता था।
आज वो मुझसे बात तक करना नहीं चाहते।
हर रोज की इन्ही मतभेदों के साथ
शायद हमारे प्यार की डोर में गाठें बढ़ने लगी है
अब सहम सी जाती हूं ये सोचकर,
कभी ये डोर बिना आवाज के टूट ना जाए।
❣️❣️