...

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चुभन
किसी भी करवट लेटीये कुछ न कुछ चुभता रहेगा।
जीवन सबका प्रत्याशा है, कुछ न कुछ कहता रहेगा।

इसने, उसने, और हम सबने क्या -क्या सीखा इस जग से।
ये गाना जो आज बज रहा, बजता ही रहा है सदियों से।

जीवन के दर्पण को मल - मल, चाहे कितना भी तुम साफ़...