हलचल मन की...
लाख कोशिशें जारी हों
संभाल कर रखने की,
कुछ रिश्ते
चटक ही जाते हैं
तकरार हो न जा जाए अपनों से ही,
इस मन की हलचल को..
इसलिए
हम बहुत समझाते हैं
दिल दुखता है
सर झुकता है
हृदयों को जोड़ने के,
फिर भी हम सपने सजाते हैं
उदासी मायूसी
लगी है तोड़ने...
संभाल कर रखने की,
कुछ रिश्ते
चटक ही जाते हैं
तकरार हो न जा जाए अपनों से ही,
इस मन की हलचल को..
इसलिए
हम बहुत समझाते हैं
दिल दुखता है
सर झुकता है
हृदयों को जोड़ने के,
फिर भी हम सपने सजाते हैं
उदासी मायूसी
लगी है तोड़ने...