ग़म की अपनी अदा है
ग़म की भी अपनी अदा है,
मुहब्बत ना हो तो बेमज़ा है।
ग़म ना हो अगर तो फिर,
मुहब्बत में नहीं कोई मज़ा है।
मुहब्बत में रोते...
मुहब्बत ना हो तो बेमज़ा है।
ग़म ना हो अगर तो फिर,
मुहब्बत में नहीं कोई मज़ा है।
मुहब्बत में रोते...