...

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मेरे अनदेखे गम को जो समझो तो माने
मेरे अनदेखे गम को गर समझो तो जाने...
अनकहे अल्फाजो को जो पढो तो माने...
कहती है जो दुनिया उसे छोड़,
गर मैं जैसी हूँ वैसा पहचानो तो माने...
होठों की हंसी को जो समझो तो जाने...
चेहरे की मायूसी को गर पढो तो माने...
कुछ पल साथ बीता देने से नहीं बन जाता
कोई हमदर्द ,
दूर रह कर भी हमारे अहसासों को समझो तो जाने....
"मैं ठीक हूं " के पीछे की तकलीफ को जो पढ़ सको तो माने...
"हाँ खा लिया है " के पीछे की सुलगती भुख को जो समझो तो जाने...
यू ही "मैं तुम्हारे साथ हूं "
कह देने से साथ नहीं मिल जाता,
गर ताउम्र निभा सको अपना ये वादा तो जाने...
मेरे अनदेखे गम को जो समझो तो माने...!!!