सौभाग्यवती भव
मेरी लाडो सुहागन रहे
सारी खुशियाँ घर-आँगन मिलें।
जोड़ती पाई-पाई रही
साड़ी-कपड़े संजोती गई।
वो अनूठी कली, भावना से भली
एकदिन साजन के संग,
जब विदा हो चली..
माँ बिलखने लगी
कुछ यूँ कहने लगी...
बेटी अपनी खुशी मारना न कभी
त्याग-बलिदान सब पति संग-साथ में।
बात छोटी सी भी तुम छुपाना...
सारी खुशियाँ घर-आँगन मिलें।
जोड़ती पाई-पाई रही
साड़ी-कपड़े संजोती गई।
वो अनूठी कली, भावना से भली
एकदिन साजन के संग,
जब विदा हो चली..
माँ बिलखने लगी
कुछ यूँ कहने लगी...
बेटी अपनी खुशी मारना न कभी
त्याग-बलिदान सब पति संग-साथ में।
बात छोटी सी भी तुम छुपाना...