...

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गुजारिश
गजल

हे गुजारीश आप से,
मुज़ सायर की कज़ा(मोत) पर मातम ना मनाया जाए ।

तोड़ के पुराने निजाम(चलन) को
कोई नया रिवाज़ चलन मे लाया जाए।

मय खानो(शराब खाना) को सजाया जाए
साकी(सराब परोसने वाली) को बुलाया जाए,
मेरी तमाम नज्म-ओ-गजल को फिर दोहराया जाए।

हे गुजारीश आप से ,,,,

मेरे मयकश(शराबी) दोस्तो को बुलाया जाए,
जाम पर जाम छल काया जाए।
एक कत्रा भी अश्क़ का ना बहाया जाए

हे गुजारीश आप से,,,,,,

कुछ लम्हो के लिये जिसने दिया सोज़(दर्द)
उस इंसान को भी बुलाया जाए,
हो फिर जिक्र उस बात का ,
एक लाश पर दो बारा(दो बार मरना) मातम ना मनाया जाए।

हे गुजारीश आप से,,,,,
सोज़
© jitensoz