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मौत... सफर का अंत है ।
सफर तो शुरू ही होता है रोने से
फिर क्यों डरता है दिल किसी को खोने से
राही तो कोई मंजिल तक भी नहीं रहता
बस एक ही अंत और सब पीछे छूट जाता

किसी को याद आती है वो पहली हसी
किसी को उसका साथ था लुभाता
करीब थे तो कोई कद्र नहीं होती
अब देखो कैसे रो रो के है बुलाता

सारी उम्र बीत गई रिश्तों को बनाने में
कुछ बीती है रूठों को मानने में
जीवित शव के कई कीदार बनाए पीठ पीछे
जब चल बसे तो अच्छा इंसान केहलता

पैसा नहीं तो ज़िन्दगी लावारिस ही लगती है
मेहबूब को यारी भी किसी और कि प्यारी लगती है
सारी उम्र बस सबके दोहरे चेहरे थे सामने
बस एक मौत ही तो वफादारी करती है

"मौत ! सबसे हसीन और सबसे सरल
हर झूठ से परे, सच्छी तस्वीर है"

© Aezz खान...