तेरे जलवे नहीं चलनेवाले
सुना है कि तू अपनी हुस्न बांटती फिर रही है,
अब मैंने अपन ईमान पुख्ता कर दिया है।
दिल्लगी का खेल तू फिर से खेलना चाह रही है,
मैंने...
अब मैंने अपन ईमान पुख्ता कर दिया है।
दिल्लगी का खेल तू फिर से खेलना चाह रही है,
मैंने...