...

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अधूराश़...
अनगिनत सपनें से पलकों पर
पूरा करने का एक अरमान है

मंजिल भी इतनी बेमिसाल है
आज यहां तो कल अनजान हैं

चार दिन की है ये जिंदगानी
ओर अनगिनत फरमान है

गुम सा हो गया है रास्ता
बस यूं ही दिखता बेज़ान है

ओझल सा लगता है सब
ना जाने कहां आसमान है

अधूरा सा लगता है जीवन
शायद यही बेगाना जहान है




© khushaboo