अधूराश़...
अनगिनत सपनें से पलकों पर
पूरा करने का एक अरमान है
मंजिल भी इतनी बेमिसाल है
आज यहां तो कल अनजान हैं
चार दिन की है...
पूरा करने का एक अरमान है
मंजिल भी इतनी बेमिसाल है
आज यहां तो कल अनजान हैं
चार दिन की है...