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पानी की बूंदे है तारे जैसे
एक दिन बैठा अपने ही घर में
हो गई रे बारिश
मैं चुप बैठकर उसको देखता रहा
वो जो बूंदे नीचे आई
लगा ऐसे तारों की बारिश हो गई
मेरा छत्त अंतरिक्ष और बूंदे तारे थे
वाकई मे ये कामाल के नाजारे थे
© RR_become your real hero
हो गई रे बारिश
मैं चुप बैठकर उसको देखता रहा
वो जो बूंदे नीचे आई
लगा ऐसे तारों की बारिश हो गई
मेरा छत्त अंतरिक्ष और बूंदे तारे थे
वाकई मे ये कामाल के नाजारे थे
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